नैनीताल
कुमाऊं विश्वविद्यालय के 17वें दीक्षांत समारोह में शुक्रवार को वर्ष 2019-20 एवं 2020-21 के 58 हजार 640 स्नातक व परास्नातक विद्यार्थियों एवं 410 पीएचडी धारकों को उपाधि प्रदान की गई। 115 मेधावी विद्यार्थियों को पदक एवं पांच को नकद पुरस्कार प्रदान किया गया। इनमें 1973 में विश्वविद्यालय की स्थापना के बाद से पहली बार पीएचडी की डिग्री प्राप्त करने वाले पत्रकारिता के तीन विद्यार्थी भी शामिल रहे।
इस अवसर पर कुलाधिपति एवं राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) गुरमीत सिंह ने दीक्षितों से अपनी डिग्रियों का लाभ अपने समाज सहित हर भारतीय एवं देश को दिलाने, खासकर ग्रामीण महिलाओं के जीवन को सरल बनाने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि दीक्षा ले रहे विद्यार्थी नेतृत्वकर्ता, पथ प्रदर्शक एवं दूसरों को रोजगार उपलब्ध कराने वाले बनें। ज्ञान को कौशल से, विज्ञान को कलाओं से, नये को प्राचीन से, भाषा को विषयों से एवं ग्लोबल को लोकल से जोड़े जाने की आवश्यकता है। ऐसा हुआ तो देश का विश्वगुरु बनने का सपना दूर नहीं रहेगा। शिक्षा का मुख्य उद्देश्य ‘प्रयोगशाला से धरातल एवं कक्षा से गांव’ होना चाहिए। उन्होंने इस बात पर खुशी जताई कि आज जिन 120 मेधावी विद्यार्थियों को पदक प्रदान किए गए, उनमें 95 बालिकाएं हैं।
प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने इसी वर्ष से राज्य में नई शिक्षा नीति लागू करने की बात कही। उन्होंने पाठ्यक्रम में वेद, ज्योतिष, वैदिक गणित, कुमाउनी एवं गढ़वाली भाषाएं, उत्तराखंड का इतिहास एवं कुमाऊं की दानवीर महिला जसुली सौक्यांणी जैसी राज्य के महापुरुषों को भी पाठ्यक्रम में शामिल करने की बात कही। उन्होंने बताया कि ई-ग्रंथालय में 40 लाख से अधिक पुस्तकें उपलब्ध हैं। इसके बावजूद कुमाऊं विश्वविद्यालय को पुस्तकालय हेतु पुस्तकें, कम्प्यूटर आदि हर तरह की सुविधाएं देने एवं समस्याएं दूर करने की बात कही।
कुलपति प्रो. एनके जोशी ने विश्वविद्यालय की पिछले दो वर्ष की अकादमिक, शैक्षिक एवं खेल के क्षेत्र में प्राप्त उपलब्धियों का विस्तृत विवरण प्रस्तुत किया।
1973 में विश्वविद्यालय की स्थापना के बाद से पहली बार पत्रकारिता के तीन विद्यार्थियों डॉ. पूनम बिष्ट, डॉ. नवीन चंद्र जोशी व डॉ. जशोदा बिष्ट ने भी डिग्री प्राप्त की।
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