उत्तराखण्ड
जोशीमठ भू-धंसाव का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती महाराज ने कहा कि पिछले एक वर्ष से जमीन धंसने के संकेत मिल रहे थे। कहा कि एक सप्ताह से जमीन धंसने से 500 से अधिक मकान प्रभावित हुए हैं। मकानों में दरारें आ गई हैं।
चमोली जिले के सीमांत क्षेत्र जोशीमठ में हो रहे भू-धंसाव का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। ज्योतिष्पीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने अपने अधिवक्ता एसपी मिश्रा के माध्यम से सुप्रीम कोर्ट में पीआईएल (जनहित याचिका) दाखिल की है।
शंकराचार्य के मीडिया प्रभारी डा. शैलेंद्र योगी उर्फ योगीराज सरकार ने बताया कि ज्योतिष्पीठ के शंकराचार्य ने जोशीमठ के मामले में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। उनका कहना है कि जोशीमठ में आज जो भी हो रहा है वह खनन, बड़ी-बड़ी परियोजनाओं का निर्माण और उसके लिए किए जा रहे ब्लास्ट के चलते हो रहा है। यह बड़ी आपदा का संकेत है। कहा कि नगर में लंबे समय से भू-धंसाव हो रहा है। लोग इसको लेकर आवाज उठाते आ रहे हैं लेकिन सरकार की ओर से इसे गंभीरता से नहीं लिया गया। इसका खामियाजा आज एक एतिहासिक, पौराणिक व सांस्कृतिक नगर और वहां रहने वाले लोग झेल रहे हैं। बताया कि इस मामले को लेकर उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है।
ज्योतिष्पीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती शनिवार को ज्योतिर्मठ पहुंच गए। मठ के प्रभारी मुकुंदानंद जी महाराज ने बताया कि शंकराचार्य रविवार को नगर में हो रहे भू-धंसाव का निरीक्षण करेंगे और प्रभावित लोगों से मुलाकात भी करेंगे। शंकराचार्य रविवार को नगर में हो रहे भू-धंसाव स्थल का निरिक्षण करेंगे और प्रभावितों का हालचाल जानेगें।
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