November 21, 2024

रणवीर एनकाउंटर (2009)- देहरादून की चर्चित रही मुठभेड मे आया अहम फैसला,जेल मे बंद पुलिसकर्मीयो को मिली बडी राहत

देहरादून

3 जुलाई 2009 को देहरादून में हुए गाजियाबाद के युवक रणवीर सिंह के मुठभेड़ प्रकरण में देहरादून पुलिस के कुछ पुलिसकर्मियों को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। अदालत ने पांच पुलिसकर्मियों को जमानत पर रिहा करने के आदेश दिए हैं। पुलिसकर्मियों के नाम तत्कालीन डालनवाला प्रभारी निरीक्षक संतोष कुमार जयसवाल, उप निरीक्षक नितिन चौहान, तत्कालीन नालापानी चौकी प्रभारी नीरज यादव, तत्कालीन आरा घर चौकी प्रभारी जीडी भट्ट एवं आरक्षी अजीत है। लंबे समय से उक्त सभी आरोपी पुलिसकर्मी देहरादून जेल में बंद है और अब जमानत मिलने के बाद उन्हें रिहा किया जाएगा। दोषी पुलिसकर्मियों की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता हर्ष वीर प्रताप शर्मा स्नेह सुप्रीम कोर्ट में पुलिस कर्मियों को जमानत देने की दलीलें रखी जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने सहमति जताते हुए जमानत के आदेश पारित किए। इससे पूर्व प्रकरण से ही जुड़े तत्कालीन नेहरू कॉलोनी थाना प्रभारी राजेश को भी जमानत पर रिहा किया जा चुका है।

बता दे कि बीती तीन जुलाई 2009 को बागपत निवासी रणवीर देहरादून अपने दो अन्य मित्र के साथ आया था इसी दौरान आराघर चौकी प्रभारी गोपाल दत्त भट्ट ने वायरलैस पर सूचना दी कि मोटरसाईकिल सवार तीन युवकों ने उसके साथ मारपीट करते हुए उसका पिस्टल लूट लिया था। जिसके बाद पुलिस ने नाकेबंदी कर रणवीर को लाडपुर के जंगल में मुठभेड में मार गिराने का दावा किया तथा पुलिस का कहना था कि यह वहीं युवक था जिसने अपने साथियो के साथ मिलकर दरोगा भट्ट की पिस्टल लूटी थी।

घटना वाले दिन देश की राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल मसूरी स्थित लालबहादुर शास्त्री एकेडमी में आयी थी तथा बाहर से यहां आयी मीडिया को वहां एंट्री नहीं मिली तो उन्होंने रणवीर इंन्काउटर को लाइव दिखाना शुरू कर दिया था। जिसके अगले ही दिन रणवीर के परिवार वाले दून पहुँचे थे। 6 जुलाई को रणवीर के पिता ने पुलिस कर्मियो के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज कराया। 7 जुलाई को मामले की सीबीसीआईडी जांच शुरू हुई और 8 जुलाई को नेहरू कालोनी थाने से रिकार्ड जब्त कर लिये गये। इस मामले में किसान नेता महेन्द्र सिंह टिकैत व राजनाथ सिंह को दखल देना पडा था तब जाकर तत्कालीन मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने 8 जुलाई को मामले की सीबीआई जांच कराने की सिफारिश की थी। 31 जुलाई को सीबीआई की टीम दून पहुंची तो उन्होंने पोस्टमार्टम रिपोर्ट का अवलोकन किया जिसमे रणवीर कर इस मुठभेड को फर्जी करार दिया। जिसके बाद सीबीआई ने 18 पुलिस कर्मियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल कर दी थी। रणवीर के पिता ने मामले की सुनवायी गाजियाबाद या फिर दिल्ली में कराने का न्यायालय में आग्रह किया था जिसके बाद मामले की सुनवायी दिल्ली में शुरू हुई तथा सभी आरोपियों को दिल्ली भेज दिया गया। 6 जून 2010 को सभी न्यायालय ने 18 पुलिसकर्मियों को दोषी करार देते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनायी थी। इस मामले में हाईकोर्ट से साक्ष्य ना होने की वजह से 11 पुलिस कर्मियों को छोड दिया गया था।