देहरादून
मलिन बस्तियों में लंबे समय से चल रहे मालिकाना हक ना मिलने की समस्या को लेकर आज अनुसूचित जाति विभाग के प्रदेश अध्यक्ष एवं पूर्व विधायक राजकुमार ने आज एक पत्रकार वार्ता की।
पूर्व विधायक राजपुर ने कहा कि पूर्व में कांग्रेस सरकार द्वारा मलिन बस्तियों के हित के लिए नियमावली बनाई गई थी जिसको कैबिनेट में रख कर पास किया गया था और मलिन बस्तियों के रख-रखाव के लिए 400 करोड़ रू0 का प्रावधान किया था उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी के द्वारा गठित समिति के सर्वेक्षण के अनुसार उत्तराखण्ड में 582 मलिन बस्तियां हैं जिनमें 7 लाख से अधिक की आबादी बसी हुई है 1 लाख से अधिक कच्चे/पक्के भवन यहां निर्मित हैं। यह सम्भव नहीं है कि 1 लाख भवन शासन बना कर यहां के निवासीयों को आवंटित कर सके। यह बस्तियां बहुत लम्बे समय 1975 से 1985 के बीच बसी हुई हैं, यदि इन्हें पूर्व में पट्टे दे दिए गए होते तो आज यह फ्रि-होल्ड होने की स्थिति में हो जाते। इस क्षेत्र में भूमि अधिकांश शासन की है, जो किन्हीं प्रयोजन हेतु शासन द्वारा सिंचाई विभाग, सार्वजनिक निर्माण विभाग,विधुत विभाग आदि को आवंटित की वह भूमि सम्बन्धित विभाग द्वारा प्रयोग करने के बाद कुछ अतिरिक्त बच गई थी, जिस पर कई लोग काबिज हो गए हैं। इस तरह से राज्य के अन्तर्गत जो भी भूमि है, चाहे वह नगर निगम/नगर पालिका/नगर पंचायत/सिंचाई विभाग/लोक निर्माण विभाग या राज्य के किसी भी विभाग की हो उसका स्वामित्व राज्य सरकार के ही पास होता है, उस भूमि का जनहित में उपयोग करने का अधिकार राज्य सरकार का है। इसलिए वहां निवासरत सभी को भू-स्वामित्व व मालिकाना हक दिया जाना ही उचित है।
पूर्व विधायक राजकुमार ने कहा कि मलिन बस्तियों के हित के लिए कांग्रेस सरकार ने मलिन बस्तियों का सर्वे शुरू कर दिया था जिसके उपरांत 2 अक्टूबर 2016 को लगभग 100 लोगों को मालिकाना हक देने का कार्य शुरू कर दिया गया था लेकिन वर्तमान भाजपा सरकार द्वारा इसे रोक दिया गया। राजकुमार ने आरोप लगते हुए कहा कि भाजपा सरकार मलिन बस्तियो के विरुद्ध कार्य करती आ रही है जिससे मलिनबस्ती वासी बहुत ही परेशानी में है।
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