November 2, 2024

दून में निकाला गया जोशीमठ बचाओ-पहाड़ बचाओ मार्च, राज्य आंदोलनकारी,पत्रकार,छात्र-छात्राएं,युवा,सामाजिक कार्यकर्ता,अधिवक्ता व कर्मचारी नेता हुए शामिल


देहरादून

जोशीमठवासियों तुम अकेले नहीं-हम तुम्हारे साथ हैं…’, ‘जय बदरी-जय केदार, जोशीमठ को बचाओ सरकार’, ‘हम विकास के नहीं विरोधी, पर पहले व्यापक सर्वे जरूरी…’ जैसे नारों के साथ आज राजधानी की सड़कों पर ‘जोशीमठ बचाओ-पहाड़ बचाओ मार्च’ निकाला गया। उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी मंच व उत्तराखंड विमर्श के आह्वान पर निकाले गए मार्च का मकसद आपदा प्रभावित जोशीमठवासियों के प्रति एकजुटता व नैतिक समर्थन प्रकट करना था। मार्च में राज्य आंदोलनकारी, पत्रकार, छात्र-छात्राएं, युवा, सामाजिक कार्यकर्ता, अधिवक्ता व कर्मचारी नेता शामिल हुए।
दोपहर 12 बजे गांधी पार्क से आरंभ हुए मार्च में शामिल लोग हाथों में ‘जोशीमठ बचाओ-पहाड़ बचाओ…’ ‘विकास भी जरूरी-पहले मगर भूगर्भीय जांच जरूरी…’ ‘पहले पहाड़ का भूगर्भीय सर्वे कराओ-फिर विकास की गंगा बहाओ…’ जैसे नारे लिखी तख्तियां लिए हुए थे। गांधी पार्क से राजपुर रोड होते हुए मार्च घंटाघर चौक स्थित पर्वतीय गांधी इंद्रमणि बडोनी की प्रतिमा के नीचे पहुंचकर सभा में तब्दील हो गया। इस मौके पर राज्य आंदोलनकारी मंच के प्रदेश अध्यक्ष जगमोहन नेगी, उत्तराखंड विमर्श के संयोजक जितेंद्र अंथवाल, उत्तरांचल प्रेस क्लब अध्यक्ष अजय राणा व डीएवी कॉलेज छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष पंकज छेत्री ने कहा कि यह मार्च जोशीमठवासियों का संबल बढ़ाने और उनके प्रति एकजुटता व्यक्त करने के लिए निकाला गया। हम सभी वहां के प्रभावित परिवारों के साथ हैं और सरकार के भी साथ हैं, क्योंकि ये आपदा की घड़ी है। लेकिन, सरकार को लोगों के समुचित विस्थापन व जोशीमठ को बचाने के लिए और तीव्रता दिखानी होगी। उन्होंने कहा कि जल्द ही इस संबंध में हस्ताक्षर अभियान चलाकर प्रधानमंत्री व राष्ट्रपति को जोशीमठ को बचाने और बसाने के लिए उचित कदम उठाने के आग्रह के साथ पत्र भेजे जाएंगे, क्योंकि चीन सीमा के आखिरी शहर जोशीमठ का सुरक्षित रहना देश की सीमा की सुरक्षा के लिहाज से भी बेहद जरूरी है।
वरिष्ठ वामपंथी नेता सुरेंद्र सिंह सजवाण, आंदोलनकारी मंच के महासचिव रामलाल खंडूरी व कर्मचारी नेता ओमवीर चौधरी ने कहा कि चमोली व आसपास के भू धसाव को देखते हुए प्रदेश के सभी लोग चिंतित है। भविष्य में यह स्थिति किसी और स्थान पर न हो, इसलिए सरकार को जल्द ही पहाड़ी शहरों का व्यापक भूगर्भीय व धारण क्षमता का सर्वे कराकर जरूरी कदम उठाने चाहिए। एमकेपी कॉलेज छात्रासंघ की अध्यक्ष बुशरा अंसारी, सचिव ऐेश्वर्या चौहान ने कहा कि प्रदेश की छात्राओं के सबसे बड़े महाविद्यालय एमकेपी की सभी छात्राएं आपदा की इस घड़ी में जोशीमठवासियों के साथ खड़ी हैं। सरकार को उनकी समस्याओं का स्थायी और त्वरित हल निकालना होगा।
सभा को कई अन्य वक्ताओं ने भी संबोधित किया। मार्च में महिला आंदोलनकारी सत्या पोखरियाल, सुलोचना भट्ट, राधा तिवारी, एमकेपी कॉलेज छात्रसंघ की सह सचिव चिरजोत कौर, कोषाध्यक्ष वैशाली व कविता माही, बैंक कर्मचारी संगठन के नेता जगमोहन मेंहदीरत्ता, विजय भट्ट, उत्तराखंड विमर्श से जुड़े वरिष्ठ पत्रकार व प्रेस क्लब के पूर्व संयुक्त मंत्री दिनेश कुकरेती, देवेंद्र नेगी, माकपा नेता अनंत आकाश, कर्मचारी नेता सुशील त्यागी, अधिवक्ता कुलदीप कुमार, सांस्कृतिक मोर्चा के जयदीप सकलानी, सामाजिक संस्था दिशा k संयोजक सुशील विरमानी, आंदोलनकारी मोहन खत्री, सुरेश नेगी, नवनीत गुसाई, सतेंद्र भंडारी, विरेंद्र गुसाईं, ध्यान सिंह बिष्ट, विजय बलूनी, प्रभात डंडरियाल, सतेंद्र नौगाईं, सुमन भंडारी, सुरेश कुमार, विनोद असवाल, सुमित थापा युवा संगठन के आशीष नौटियाल, छात्र नेता राहुल कुमार आदि मुख्यरूप से शामिल रहे।